
बीते कुछ दिनों से देश,प्रदेश सहित बिलासपुर में धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ते मामलों को लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। वक्ता ने कहा कि जिस तरह से धर्म को जबरदस्ती थोपने और किसी एक विचारधारा को श्रेष्ठ बताने की कोशिश हो रही है, वह देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मुगल शासकों द्वारा गुरु तेग बहादुर का सिर कलम किया गया था, आज उसी तरह का माहौल फिर से बनाया जा रहा है, जो चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी धर्म को समझने के लिए मीटिंग अटेंड करता है या चर्चा करता है, तो उसे जबरन रोका नहीं जाना चाहिए। अगर कहीं पर अंधविश्वास फैलाया जा रहा है, तो उसके लिए कानून मौजूद है, लेकिन मारपीट या धक्का-मुक्की स्वीकार्य नहीं है। वक्ता ने कहा कि वह खुद इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़े हैं और कभी किसी धर्म परिवर्तन की कोशिश महसूस नहीं की।इस पूरे मामले को लेकर उन्होंने कहा कि यह विरोध किसी धर्म या जाति विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह संविधान को बचाने की लड़ाई है। सभी धर्मों के लोगों को मिलकर देश के माहौल को बचाना होगा, क्योंकि अगर संविधान खतरे में पड़ा तो देश का अस्तित्व और नागरिकों के अधिकार भी खतरे में आ जाएंगे।