
बिलासपुर के मंगला वार्ड 13 से एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही की तस्वीर सामने आई है। यहां बंद घोषित किए गए रेत घाटों पर सुबह से रात तक ट्रैक्टर दौड़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। लगातार शिकायतों और सूचनाओं के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मंगला वार्ड में अब रेत से भरे ट्रैक्टरों की कतारें आम नज़ारा बन गई हैं। जिन घाटों पर प्रशासन ने खनन प्रतिबंधित कर रखा है, वहां से बेखौफ माफिया रेत निकाल रहे हैं। आदर्श चौक से लेकर धुरीपारा तक पूरा इलाका अब रेत के धंधे का नया केंद्र बन गया है। रिहायशी क्षेत्र में दिन-रात रेत की ढुलाई हो रही है, जिससे न सिर्फ कानून का उल्लंघन हो रहा है बल्कि स्थानीय लोगों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है।वार्ड पार्षद द्वारा कलेक्टर से कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन नतीजा शून्य है। न कोई ट्रैक्टर जब्त हुआ, न कोई माफिया गिरफ्तार। यह चुप्पी क्या किसी मिलीभगत का संकेत है।

खनिज अधिकारी रमाकांत सोनी का दावा है कि अवैध खनन की सूचना मिलते ही कार्रवाई की जाती है। उनके मुताबिक 26 मई को एक टास्क फोर्स बनाई गई है जिसमें राजस्व, पुलिस और परिवहन विभाग को शामिल किया गया है, और क्षेत्र में निरीक्षण जारी है।अधिकारी का कहना है कि जहां-जहां अवैध खनन की शिकायत मिलती है, वहां टीम भेजी जाती है और मौके पर कार्रवाई की जाती है। लगातार निगरानी रखी जा रही है।

लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है। लोगों के घरों के सामने से ट्रैक्टर निकल रहे हैं, रेत लदी गाड़ियां दिनदहाड़े दौड़ रही हैं और प्रशासन बस “शिकायत मिलने पर कार्रवाई” की रट लगाए बैठा है। जब सब कुछ इतने खुलेआम हो रहा है, तो फिर शिकायत का इंतज़ार किस बात का।अब सवाल सिर्फ प्रशासन की निष्क्रियता का नहीं, बल्कि उस भरोसे का भी है जो जनता कानून व्यवस्था पर करती है। मंगला में हो रही इस खुली लूट पर अगर जल्द सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो बिलासपुर के और भी रिहायशी इलाके रेत माफियाओं के कब्जे में चले जाएंगे।