
बिलासपुर के सकरी जोन क्षेत्र में आने वाली सर्वमंगला कॉलोनी, जहां हर साल बारिश आते ही नज़ारा किसी बाढ़ग्रस्त गांव का लगने लगता है। यह कॉलोनी शहर के भीतर होते हुए भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। खासकर जल निकासी की समस्या ने यहां के लोगों की ज़िंदगी को मुश्किल बना दिया है। बरसात शुरू होते ही सड़कें, गलियां और यहां तक कि गार्डन तक दलदल में तब्दील हो जाते हैं। इस बार भी हालात बदले नहीं, उल्टा पहले से ज्यादा बिगड़े नज़र आ रहे हैं। यह तस्वीरें किसी कस्बे की नहीं, बल्कि शहर की उस कॉलोनी की हैं, जो कुछ साल पहले ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ कहकर बेची गई थी। रहवासियों का कहना है कि कॉलोनी में जब प्लॉट बिके, तो सुनहरे सपने दिखाए गए। लेकिन जैसे-जैसे बारिश आई, वैसे-वैसे सच्चाई सामने आती गई। न नाली की व्यवस्था है, न पानी की निकासी का प्लान। यहां तक कि कॉलोनी के भीतर जो गार्डन बच्चों के खेलने के लिए बना था, वह अब स्थायी दलदल जैसा दिखता है।क्षेत्रवासियों ने कहा कि हम 2018 से यहाँ रह रहा हूँ। हर साल बारिश में यही हाल होता है। नाली अधूरी है, गार्डन दलदल बन चुका है, और कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। लोग बीमारियों के खतरे में जी रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार चुप बैठे हैं।”रहवासियों ने बिल्डरों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

उनका कहना है कि नायडू, अग्रवाल और आनंद साहू नाम के बिल्डरों ने कॉलोनी में बिना कोई ठोस इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए प्लॉट बेच डाले। लोगों को सुविधाओं का झांसा देकर बसाया गया, लेकिन कोई विकास नहीं किया गया। यहां तक कि जब दो साल पहले नगर निगम ने जल निकासी को लेकर नाली निर्माण की शुरुआत की, तब भी वह अधूरा ही छोड़ दिया गया।स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारियों ने सर्वे तो किया, लेकिन कार्रवाई में कभी गंभीरता नहीं दिखाई। केवल फोटो खिंचवाने और मौके की खानापूर्ति करने के बाद फाइलों में काम को बंद कर दिया गया। बारिश की शुरुआत में ही अगर इतना जलभराव है, तो जुलाई-अगस्त के भारी पानी में क्या होगा – यह सोचकर ही लोग चिंतित हैं।कई बार ज्ञापन दिए, कॉल्स किए, सोशल मीडिया पर डाले लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। हमें डर है कि यह कॉलोनी एक दिन डेंगू-मलेरिया का हॉटस्पॉट न बन जाए। प्रशासन को अब सिर्फ देखना नहीं, कुछ करना भी चाहिए। नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही का ये मामला सिर्फ एक कॉलोनी का नहीं है, बल्कि शहर में पनपते उन इलाकों का है जहां प्लॉटिंग तो होती है, लेकिन प्लानिंग नहीं। सर्वमंगला कॉलोनी आज शहर के सिस्टम पर एक बड़ा सवाल बनकर खड़ी है। लोगों को अब किसी सर्वे या टीम की नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई और स्थायी समाधान की दरकार है।