
बिलासपुर जिला अस्पताल स्थित मातृ शिशु 100 बिस्तरी अस्पताल की कार्यशैली पर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं। यहां व्यवस्थाएं इतनी लचर हो चुकी हैं कि मामूली स्थिति में भी नवजातों को दूसरे अस्पतालों में रैफर कर दिया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस लापरवाही की जानकारी एसएनसीयू प्रभारी डॉ. एसके दास और सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता को होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।गुरुवार को एक ताजा मामला सामने आया, जहां अस्पताल में भर्ती महिला पूजा केंवट ने एक नवजात को जन्म दिया। शिशु के सिर में पानी भर जाने की शिकायत थी, लेकिन इलाज की बजाय अस्पताल प्रशासन ने साधन-संसाधन की कमी का हवाला देकर उसे सिम्स रैफर कर दिया। परिजनों को यह कहकर बरगलाया गया कि वहां बेहतर इलाज मिलेगा। जबकि हकीकत यह है कि एसएनसीयू में मौजूद संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं हो रहा।स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, एसएनसीयू प्रभारी डॉ. एसके दास रोज़ाना केवल उपस्थिति दर्ज कर निकल जाते हैं।उनकी अनुपस्थिति में अन्य स्टाफ मनमानी करते हैं और गंभीर मामलों को भी बिना इलाज किए बाहर भेज देते हैं।ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों का इस तरह गैरजिम्मेदार रवैया मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ के समान है।कई बार इस बात की शिकायत की जा चुकी है, मगर डॉक्टर दास लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं।इस पूरी व्यवस्था पर सिविल सर्जन और जिला प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। मातृ शिशु अस्पताल में ऐसी लापरवाही बरती जाना गंभीर चिंता का विषय है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह लचर व्यवस्था आने वाले समय में किसी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकती है।