
बिलासपुर नगर पालिका निगम में भवन शाखा प्रभारी सुरेश शर्मा की संविदा नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 10 जून को नगर निगम की बैठक में मेयर और कांग्रेस पार्षदों की ओर से सुरेश शर्मा की संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके बाद विपक्ष की ओर से विरोध दर्ज किया गया है। कांग्रेस पार्षद दल की नेता ममता प्रतिपक्ष ने इस नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि सुरेश शर्मा पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। नगर निगम में पिछले 25 वर्षों के कार्यकाल में उनके खिलाफ वित्तीय संदिग्ध इंजीनियर की संविदा नियुक्ति का विरोध, बैड-कांग्रेस पार्षदों ने की कार्रवाई की मांगअनियमितताओं, संपत्ति विवाद और अनुशासनहीनता से जुड़ी कई शिकायतें सामने आई हैं। इसके बावजूद उनका कार्यकाल बढ़ाया जाना नगर निगम की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। विपक्ष का आरोप है कि शर्मा द्वारा भवन अनुज्ञा में अनियमितता, अवैध निर्माण को संरक्षण और भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों की शिकायतें पहले भी हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, उनके कार्यकाल के दौरान कई बार निगम प्रशासन को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है। ऐसी स्थिति में पुनः उनकी संविदा नियुक्ति जनता के हितों के खिलाफ मानी जा रही है। इसके अतिरिक्त, शर्मा पर समय-समय पर बिल्डरों और बड़े दुकानदारों से लेनदेन कर नियम विरुद्ध अनुमतियाँ देने के आरोप भी लगे हैं। उनकी इसी कार्यप्रणाली को लेकर पूर्व में आयुक्त द्वारा भी नोटिस जारी किया गया था। भवन अनुज्ञा शाखा की अव्यवस्थित कार्यशैली से नगर निगम की छवि को नुकसान पहुंचा है। विपक्ष ने स्पष्ट किया कि यदि संविदा नियुक्ति की गई, तो जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। इस प्रकरण में कांग्रेस पार्षदों ने राज्य सरकार और नगर निगम आयुक्त से मांग की है कि सुरेश शर्मा की संविदा नियुक्ति निरस्त की जाए और उनके खिलाफ लंबित जांचों को निष्पक्ष रूप से पूरा किया जाए। मेयर द्वारा पारित प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर उचित कार्रवाई की मांग की गई है।