
बिलासपुर रेलवे स्टेशन, जहां हर दिन हजारों यात्री अपने गंतव्य के लिए सफर करते हैं, वहां सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुलती नजर आ रही है। रिडेवलपमेंट के नाम पर निर्माण कार्य तो तेज़ी से चल रहा है, लेकिन सुरक्षा के मोर्चे पर हालत बेहद चिंताजनक हैं। ना तो लगेज की जांच की कोई पुख्ता व्यवस्था है और ना ही मेटल डिटेक्टर सही तरीके से काम कर रहे हैं। ऐसे में असामाजिक तत्वों के लिए ट्रेनों का दुरुपयोग करना बेहद आसान हो गया है, जो यात्रियों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

स्टेशन पर लगेज स्कैनर महज़ औपचारिकता भर बनकर रह गए हैं। बैग और अन्य सामान की ना तो नियमित जांच हो रही है और ना ही कोई मॉनिटरिंग की जा रही है। मेटल डिटेक्टर की हालत और भी खराब है, कई गेटों से तो यह पूरी तरह गायब हो चुके हैं। विशेषकर गेट नंबर एक पर कोई सुरक्षा कर्मचारी तैनात नहीं है। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और Government Railway Police (GRP) की गश्त भी न के बराबर है, जिससे असामाजिक तत्वों को खुली छूट मिल रही है।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने हालात को देखते हुए संबंधित एजेंसियों को सख्त निर्देश दिए हैं। हर दो घंटे में प्लेटफॉर्म और स्टेशन परिसर की गश्त अनिवार्य की गई है। अधिकारियों का दावा है कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीरता बरती जा रही है। हालांकि जमीनी स्तर पर अब भी कई खामियां बनी हुई हैं।

डीसीएम अनुराग कुमार सिंह ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। रिडेवलपमेंट के चलते थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है, लेकिन जल्द ही स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त कर दी जाएगी। बेशक रेलवे प्रशासन की ओर से सुरक्षा को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन जब तक ये आदेश हकीकत में अमल में नहीं लाए जाते, तब तक यात्रियों की चिंता कम नहीं हो सकती। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बिलासपुर जंक्शन को भी सुरक्षा के लिहाज से एक आदर्श मॉडल स्टेशन बनाया जा सकेगा, जहां यात्री निश्चिंत होकर सफर कर सकें?अब जरूरत इस बात की है कि कागज़ों पर बनी योजनाओं को स्टेशन की हकीकत में उतारा जाए और सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए, ताकि बिलासपुर जंक्शन यात्रियों के लिए सुरक्षित सफर का पर्याय बन सके।