
बिलासपुर / अक्सर सभी ने सुना है की महुआ शराब के लिए काम आता है जिसका सबसे ज्यादा उपयोग ग्रामीण क्षेत्रो में शराब बनाने के लिए किया जाता है…लेकिन अब महुआ से खाने की चीजे भी बनेगी…जिससे आय भी होगा और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे….

दरसल
हमने अक्सर क्या…बल्कि ज्यादातर देखा है की महुआ को जंगल में पाया जाता है और इसका सबसे ज्यादा उपयोग शराब बनाने के लिए किया जाता है…लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित 3 दिवसीय प्रशिक्षण में यह पता चला की महुआ से अब सिर्फ शराब नहीं बल्कि खाने की चीजे भी बनायीं जा सकती है…हालांकि जब हमने भी सूना तो बहुत आश्चर्य हुआ लेकिन जब देखा तो यकीं हुआ की वाकई में महुआ का अन्य उपयोग भी किया जा सकता है….देखिये इस प्रशिक्षण शिविर में कोटा से पहुंचे किसानो को किस तरह से जानकारियाँ दी जा रही है….दरसल यह चूल्हा जो रखा हुआ है जिसमे बनाकर बताया जा रहा है की कैसे और किस तरह से महुआ का उपयोग किया जा सकता है…महुआ से बिस्किट,आचार किसमिस और अन्य चीजों को बनाया जा सकता है….इससे न सिर्फ किसानो को लाभ मिलेगा बल्कि किसानो को रोजगार का अवसर भी मिलेगा…

कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ.शिल्पा कौशिक ने मीडिया को बताया की किसानो को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के 95 वां स्थापना दिवस के अवसर पर प्राकृतिक खेती,जैविक खेती,बीज उपचार,धान उपचार ,वृहद वृक्षा रोपण,कीट व्याधि से बचाव और फल दार पौधा लगाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है…ताकि रोजगार मिल सके और तकनीकी जानकारियाँ हो…चूँकि सरकार का उद्देश्य है की किसानो तक तकनीक को पहुचाना है ताकि किसानो को किसी तरह की कोई समस्या न हो और रोजगार का अवसर मिलता रहे….

इस अवसर पर तीनो दिन डीन डॉ.आरकेएस तिवारी,डॉ.शिल्पा कौशिक,डॉ .अमित शुक्ला और निवेदिता पाठक वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र बिलासपुर के लोगो का योगदान रहा….जिन्होंने बताया की यह किसानो के लिए बहुत बढ़िया कार्यक्रम है..इससे किसान जागरूक होते है और उनको आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलती है…इस अवसर पर हरेली का त्यौहार भी मनाया गया….जिसमे पूजा अर्चना कर किसानो को बधाई एवं शुभ कामनाए दी गयी.एवं किसानो को बिही और आम के पौधे भी वितरण किए गए…
