मंगलवार को जैसे ही गरज चमक और हवा के साथ बारिश शुरू हुई, पूरे शहर के साथ जिला अस्पताल स्थित मातृ शिशु अस्पताल पूरी तरह से अंधेरे में डूब गया। अंधेरे की वजह से गर्भवती पीड़ित मरीज, प्रसूता मरीज सहित अन्य महिला मरीजों को भी काफी दिक्कतें हुई। सभी महिला मरीज और उनके परिजन टॉर्च का सहारा लेकर वार्डों में घूमते टहलते नजर आए। इतना ही नही यहां घण्टों बिजली बंद रही पूरा मातृ शिशु अस्पताल अंधेरे में डूबा रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने आपातकालीन स्थिति में उपयोगी जनरेटर तक बन्द रखा।

यही वजह रही कि यहां महिला मरीजों के साथ एसएनसीयू में भर्ती माइनर और प्री मेच्योर के नवजात, शिशुओं के इलाज में भी खासा असर पड़ा। हालांकि घण्टो बीत जाने की वजह से भी जब बिजली नही आई तो मातृ शिशु अस्पताल के बन्द पड़े जनरेटर में डीजल डालकर उसे चालू किया गया। अस्पताल के बिजली गुल के पीछे शार्ट शर्किट का कारण भी बताया जा रहा है।

मातृ शिशु अस्पताल में महिला मरीज होने की वजह से इसे अति संवेदनशील माना जाता है, यही वजह है कि यहां रात होते ही पुरुषों के अनावश्यक आने जाने पर रोक लगा दिया जाता है। लेकिन मंगलवार की रात जब बिजली घण्टों बन्द रही इसी संवेदनशील मातृ शिशु अस्पताल में महिलाओं के वार्ड तक धड़ल्ले से पुरुष भी आते जाते नजर आए। इस तरह महिलाओं के प्रति संवेदना दिखाने वाले मातृ शिशु अस्पताल प्रबंधन की ओर से बड़ी चूक और लापरवाही नजर आई।
