27.1 C
Bilāspur
Friday, June 20, 2025
spot_img

शिक्षा अधिकारीयों के मॉनिटरिंग का अभाव; शहर से सटे स्कूलों का हाल ऐसा कि बच्चे जमीन पर बैठकर परीक्षा देने को विवश।

शिक्षा को उन्नत बनाने और छात्रों की सुविधा के लिए शासन तमाम प्रयास करती है, शिक्षकों को पर्याप्त वेतन, सुविधाये दिया जाता हैं लेकिन छात्रों की सुविधा के लाले पड़े हुए हैं इसका सबसे अच्छा उदाहरण शहर से लगे हरदी कला के मिडिल स्कूल हैं।

सरकार सबको शिक्षा देने का दावा करती है तो वही सर्व सुविधा युक्त शिक्षण संस्थानों की भी बात की जाती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। शहर से सटे स्कूलों का हाल यह है कि यहां बच्चे जमीन पर बैठकर परीक्षा देने को विवश है। यहां एग्जाम चल रहा है बच्चे धूल भरे जमीन में बैठकर परीक्षा दिला रहे हैं। बच्चों और अभिभावकों का कहना है की जमीन में बैठने से कपड़े गंदे हो जाते हैं। यूनिफॉर्म रोज धोना पड़ता है ।

वही टीचरों का कहना है कि इसके लिए शासन से फंड नहीं दिया गया है, इस कारण बच्चों को जमीन पर बैठाया जा रहा है। जबकि प्रधान पाठक का कहना है की परीक्षा चल रहा है इसलिए उन्हें जमीन पर ही बैठने कहा गया है। इस प्रकार के अलग अलग बेतुकी बयानबाजी से साफ है की दाल में कुछ काला है।

वही संकुल प्रभारी का कहना है कि अगर ऐसा है तो यह उचित नहीं है। बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है उसके बावजूद भी उन्हें जमीन पर बैठाया जा रहा है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। जबकि बच्चों का कहना है कि हम सालों से इसी प्रकार जमीन में बैठकर पढ़ने मजबूर हैं। हमने शिक्षकों से बेंच या दरी की मांग की है, उसके बावजूद भी यहां कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इन तमाम अव्यवस्था को देखकर शिक्षा विभाग की लापरवाही की पोल खुल रही है। वहीं शासन द्वारा शिक्षा मद में करोड़ों रुपए का बजट देने की बात भी खोखली साबित हो रही है। शिक्षा अधिकारीयों के मॉनिटरिंग के अभाव में स्कूल प्रशासन भी मनमानी पर उतर आया है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

132,000FansLike
3,912FollowersFollow
21,600SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles