गर्मी बढ़ते ही राहगीरों के गले सूखने लगते हैं, सबसे ज्यादा जरूरत प्याऊ की होती है, पहले चौक चौराहों में प्याऊ लगाए जाते थे, जो इस बार कही दिखाई नहीं दे रहे। इनका उद्देश्य है कि काम से घर से बाहर निकले लोगों को ठंडे पानी के लिए भटकना नही पड़े, प्याऊ लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है, अप्रैल का महीना शुरू हो गया है। तेज गर्मी पड़ रही है लेकिन शहर में कहीं भी प्याऊ नहीं दिखाई दे रहे हैं, वही समाजसेवी संगठन भी इसमें अब रुचि नहीं ले रहे है।

कुछ समय पहले नगर निगम ने जनहित के दावे करते हुए विकास भवन के सामने ठंडा पानी के लिए मशीन लगवाया था, जो एन वक्त पर बंद पड़ी है, पानी की आस में भटकते हुए राहगीर यहाँ पहुचते हैं गिलास लेकर जैसे ही नल चालू करते है, लेकिन पानी नही निकलता देख निगम को कोसते हुए कहते है कम से कम निगम को तो अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। लगता हैं जनहित के दिखावे के लिए निगम ने मशीन लगवाया हैं, जो प्यासों के लिए किसी काम जा नही हैं इससे साफ है, निगम के अफसर और जनप्रतिनिधियों को लोगों की मूलभूत जरूरतों की कितनी फिक्र हैं।

