राणी सती दादी जी का सबसे बड़ा उत्सव भादी मावस पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। रिंग रोड नंबर 02 नर्मदा नगर स्थित मंदिर प्रांगण में सुबह से ही जात-धोक पूजा के साथ सवामणि प्रसाद, संध्या भजन एवं भोजन प्रसाद कार्यक्रम आयोजित हुआ।

श्री राणी सती दादी जी मंदिर ट्रस्ट, में सोमवार को रिंग रोड नंबर 2 स्थित श्री राणी सती दादी जी मंदिर में श्री राणी सती दादी जी का भक्तिमय श्रृंगार करके सबसे बड़े उत्सव भादि मावस पर्व को धूमधाम से मनाया गया, इस अवसर पर सतना से आई दादी जी की मंगल पाठ गायिका सुश्री शिखा पांडे द्वारा अत्यंत सुमधुर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री दादी जी को मेहंदी लगाई गई एवं आव्हान कर पूजा अर्चना की गई। इसके पश्चात दादी जी के जीवनी पर आधारित मंगल पाठ प्रारंभ हुआ। लगभग 2 सौ महिलाओं द्वारा बहुत सुंदर मंगल पाठ का आयोजन हुआ। महिलाओं और भक्तजनों का उत्साह चरम पर था।


मान्यता अनुसार राजस्थान की नारायणी बाई का विवाह के बाद विदाई हो रही थी इस दौरान वहां के डाकुओं ने आक्रमण कर दिया पति को लड़ता देख नारायणी बाई ने भी डाकुओं से जमकर मुकाबला किया और उन्हें परास्त किया, लडाई में पति की मृत्यु हो गई, पति की मृत्यु से दुखी इन्होंने सती होने की ठानी और कहा कि यह घोड़ा जहां रुकेगा वहां पर एक मंदिर की स्थापना की जाए। घोड़ा राजस्थान के झुंझुनू में रुका। इस प्रकार भारत का सबसे बड़ा मंदिर वहां स्थापित है, तब से नारायणी बाई को राणी सती दादी के नाम से जाना जाने लगा।

नर्मदा नगर के रिंग रोड 2 में स्थित श्री राणी सती दादी मंदिर में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सुबह से शाम तक विभिन्न भक्तिमय कार्यक्रम में भक्त बड़ी संख्या में शामिल हुए, मारवाड़ी समाज की कुलदेवी राणी सती दादी जी हैं, ऐसी मान्यता है कि यहां मनोकामनाएं पूरी होती है जिनकी मनोकामना पूरी होती है, सवामणि का भोग लगाते हैं, उसके बाद इस भोग को प्रसाद स्वरूप भोग भंडारे के रूप में बांटा गया। सोमवार को यहां 1500 लोगों को भोग भंडारा बांटा गया।

