
मिशन अस्पताल में बुधवार को जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों ने बुलडोजर चला कर अस्पताल भवन को ढहाने की कार्रवाई शुरू की। इस दौरान सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था और आसपास के इलाकों को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई बिना किसी कानूनी नोटिस के की गई थी। मिशनरी संस्था ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने जर्जर घोषित करने के लिए एक गलत सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह कार्रवाई की, जबकि अस्पताल के भीतर चिकित्सकीय संसाधन और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुएं भी रखी हुई थीं।हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को अवैध ठहराते हुए तुरंत प्रभाव से उसे रोकने का आदेश दिया।

कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी कार्रवाई रोकते हुए परिसर से वापस चले गए। हालांकि, कुछ सामान की तोड़फोड़ और निकालने का काम अभी भी जारी था, जिसके खिलाफ मिशनरी के लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।इस पूरे मामले को लेकर मिशनरी संस्था ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बिना किसी सूचना और कानूनी प्रक्रिया के अस्पताल में तोड़फोड़ की। वहीं, मिशन अस्पताल के पास इसके पूरे रजिस्ट्री दस्तावेज हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि प्रशासन ने कैसे इस मामले को नजूल तक पहुंचाया।मिशनरी का कहना है कि अस्पताल का भवन जर्जर होने का दावा गलत है, क्योंकि उस दिन जब तोड़फोड़ की जा रही थी, तो भवन में कोई खामियां नजर नहीं आईं।


इसके साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन के अधिकारी कार्यवाही रोकने के बावजूद अवैध रूप से पुराने सामान निकालने में लगे रहे।इस पूरे मामले में, मिशन अस्पताल प्रशासन और कर्मचारियों ने जिला प्रशासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही है। उनका कहना है कि जब लीज की रजिस्ट्री के दस्तावेज मौजूद हैं, तो प्रशासन की कार्रवाई अवैध है। साथ ही, यह भी आरोप है कि प्रशासन ने किसी प्रकार की निष्पक्ष जांच किए बिना यह कार्रवाई की।अब यह मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, और सवाल उठ रहे हैं कि क्या न्यायालय प्रशासन की इस अवैध कार्रवाई को सही ठहराएगा या मिशन अस्पताल के पक्ष में फैसला सुनाएगा। इस मामले में आगे क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा।