गर्मी की शुरुआत होते ही शहर के बाजारों में ठंडे पेय पदार्थों की रौनक बढ़ गई है। तपती धूप और लू से राहत पाने के लिए लोग अब पारंपरिक देसी पेयों की ओर रुख कर रहे हैं। चौक चौराहों पर आम पना, नींबू पानी, शिकंजी और जलजीरा की दुकानें सज गई हैं, जहां ग्राहकों की खूब भीड़ देखी जा रही है। जैसे ही सूरज ने अपने तेवर दिखाने शुरू किए, शहर के प्रमुख बाजारों, बस स्टैंड और चौक-चौराहों में ठंडे पेय पदार्थों की दुकानें भी सजने लगीं। गर्मी से बेहाल लोग राहत पाने के लिए शिकंजी, जलजीरा और खासकर आम पना की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। आम पना न केवल लू से बचाता है, बल्कि शरीर को ठंडक और ऊर्जा भी देता है।फिलहाल इन पेयों को तैयार करने के लिए राज्य के बाहर से आए कच्चे आमों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन 15 अप्रैल के बाद स्थानीय आम बाजार में आने लगेंगे। दुकानदारों के अनुसार, स्थानीय कच्चे आम से बने आम पना का स्वाद ज्यादा अच्छा होता है और यह सेहत के लिहाज से भी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।बाजार में मौजूद दुकानदारों का कहना है कि इन देसी पेयों की कीमत आम आदमी की जेब के मुताबिक है, और यही वजह है कि इनकी मांग लगातार बढ़ रही है।दुकानदार राजू का कहना है कि दोपहर होते ही ग्राहकों की भीड़ बढ़ जाती है और जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे-वैसे बिक्री में और इज़ाफा होगा।ग्राहकों का कहना है कि आम पना न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि यह शरीर को तुरंत ठंडक देता है और थकान को भी दूर करता है।ऐसे में यह डिब्बा बंद पेयों की तुलना में ज्यादा प्राकृतिक और असरदार विकल्प बन चुका है। गर्मी के इस मौसम में देसी पेय जैसे आम पना, शिकंजी और जलजीरा ना केवल स्वाद और सेहत का बेहतरीन मेल बनकर उभरे हैं, बल्कि लोगों को तपती धूप और लू से राहत देने का कारगर तरीका भी साबित हो रहे हैं।शहर के हर कोने में इन पेयों की मौजूदगी और बढ़ती मांग ये साफ कर देती है कि अब लोग ठंडक पाने के लिए प्राकृतिक विकल्पों की ओर लौट रहे हैं।दुकानदारों को उम्मीद है कि जैसे जैसे तापमान बढ़ेगा, वैसे वैसे इन देसी पेयों की बिक्री भी और रफ्तार पकड़ेगी। लोगों का भरोसा भी अब ब्रांडेड बोतलों से हटकर फिर से पुराने देसी घूंटों की तरफ लौटता नजर आ रहा है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इस गर्मी में राहत की सबसे ठंडी चुस्की आम पना ही है।