सिरगिट्टी रुचिका विहार में 9 दिवसीय सोलापुरी माता पूजा की शुरुआत हुई ।पहले दिन राटा पूजा के साथ संपन्न की गई जिसके बाद अब अगले 9 दिनों तक प्रतिदिन माता के अलग स्वरूप के दर्शन भक्ति कर सकेंगे। बिलासपुर जिले में सोलापुरी माता की पूजा उत्सव का आयोजन में श्रद्धालु भक्तिभाव से रोजाना शामिल होते हैं । रुचिका विहार सिरगिट्टी में आयोजित सोलापुरी माता पूजा में पहले दिन राटा पूजा के साथ पूजा महोत्सव की शुरुआत हुई अगले 9 दिनों तक यहां इसी तरह माता की आराधना करेंगे सोमवार को माता का आगमन पूजा पंडाल में होगा जिसके बाद प्रतिदिन गीली हल्दी से माता का विग्रह तैयार किया गया। पुजारी रोजाना गीली हल्दी से ही देवी के अलग-अलग स्वरूपों का निर्माण कर रहे हैं। दोपहर बाद इसकी तैयारी शुरू होती है और रात करीब 9 बजे देवी की विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना और आरती की जाती है।माता सोलापुरी की पूजा देश में अलग-अलग रूपों में की जाती है। दक्षिण भारत में मां जगदंबे को सोलापुरी स्वरूप में पूजा जाता है। सोलापुरी माता का विश्व प्रसिद्ध मंदिर खड़गपुर पश्चिम बंगाल के रेलवे क्षेत्र में है और यहीं से सोलापुरी माता पूजा उत्सव की शुरुआत हुई। इस पूरे आयोजन की जड़ें पश्चिम बंगाल के खड़गपुर से ही जुड़ी हुई हैं, जहां से चलकर बिलासपुर में इसने महोत्सव का रूप ले लिया। मान्यता है कि सोलापुरी माता देवी शीतला का ही एक रूप हैं, जो ग्रीष्म काल में होने वाली लू, ज्वर, छोटी-बड़ी चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा करती है। मां सोलापुरी का श्रृंगार दक्षिण भारतीय शैली में पटू साड़ी, मोगरे के हार और आभूषणों से किया जाता है। देवी को विशेष मुकुट पहनाया गया है। श्री सोलापुरी माता पूजा की कई विशेषताएं हैं। मुख्य पुजारी के साथ पांच बाल पुजारी पूरे 10 दिन उपवास रखकर देवी की पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों में पूरा सहयोग करते हैं। केवल धोती पहने और शरीर पर हल्दी का लेप लगाए ये बाल पुजारी 10 दिनों तक अपने घर नहीं जाते। ये अपना पूरा समय देवी की सेवा में समर्पित करते हैं। इस साल बाल पुजारी के रूप में अबीर बोस, साईं किरण, भूषण, मोक्ष और अक्षित को देवी की सेवा का अवसर दिया गया है। वही अगले रविवार को महाकुंबभम पूजा के साथ आयोजन का समापन होगा।