
एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने 3 अप्रैल से विश्वविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक ठहराव, परीक्षा परिणामों की अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही के विरोध में विविध कार्यक्रम आयोजित किए थे। इन कार्यक्रमों में शव यात्रा, शांति प्रदर्शन, और मुंडन जैसे प्रतीकात्मक कदम शामिल रहे। 12 अप्रैल को दशगात्र कार्यक्रम मनाकर प्रशासन को जगाने का प्रयास किया गया, लेकिन छात्रों के अनुसार शासन-प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। तेरहवीं के मौके पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और संगठन के पदाधिकारी एकत्र हुए। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे हवन के साथ हुई। ब्राह्मण भोज के माध्यम से विरोध को सांकेतिक रूप दिया गया और उसके पश्चात विश्वविद्यालय परिसर में तालाबंदी कर दी गई।


छात्रों ने गांधीवादी तरीकों से शुरू हुए अपने आंदोलन को अब ‘भगत सिंह के तरीके’ से आगे बढ़ाने की चेतावनी दी। एनएसयूआई ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल विश्वविद्यालय के छात्रों की आवाज नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के उच्च शिक्षा तंत्र की दुर्दशा के खिलाफ है। संगठन ने प्रशासन से अविलंब ठोस कार्यवाही करने की मांग की है, अन्यथा आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी गई है।

मीडिया से बात करते हुए एनएसयूआई के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह केवल तेरहवीं नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की मृत अवस्था का शोक है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो प्रदेशभर में इसी तरह के प्रदर्शन किए जाएंगे।