
प्राइवेट स्कूल पूरी तरह से टकसाल बन चुके हैं, जहां बच्चों को शिक्षा देने पर नहीं बल्कि उनके जरिए नोट छापने पर जोर होता है। इसमें सिर्फ प्राइवेट स्कूल का कसूर है, ऐसा भी नहीं है। अभिभावकों को भी यह वहम हो चुका है कि उनके बच्चे जितने बड़े और महंगे स्कूलों में पढ़ेंगे, उनका भविष्य उतना ही उज्जवल होगा। वैसे हर साल जब भी बोर्ड परीक्षा के नतीजे आते हैं तो मेरिट लिस्ट में शामिल आधे से अधिक बच्चे सरकारी और गुमनाम स्कूलों से होते हैं, फिर भी समाज में बनी परिपाटी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। ऐसे ही एक स्कूल से प्रताड़ित अभिभावक ने अपनी व्यथा बिलासपुर प्रेस क्लब में सुनाई।प्राइवेट स्कूल पूरी तरह से टकसाल बन चुके हैं, जहां बच्चों को शिक्षा देने पर नहीं बल्कि उनके जरिए नोट छापने पर जोर होता है। इसमें सिर्फ प्राइवेट स्कूल का कसूर है, ऐसा भी नहीं है। अभिभावकों को भी यह वहम हो चुका है कि उनके बच्चे जितने बड़े और महंगे स्कूलों में पढ़ेंगे, उनका भविष्य उतना ही उज्जवल होगा। वैसे हर साल जब भी बोर्ड परीक्षा के नतीजे आते हैं तो मेरिट लिस्ट में शामिल आधे से अधिक बच्चे सरकारी और गुमनाम स्कूलों से होते हैं, फिर भी समाज में बनी परिपाटी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। ऐसे ही एक स्कूल से प्रताड़ित अभिभावक ने अपनी व्यथा बिलासपुर प्रेस क्लब में सुनाई।संजय सिंह का पुत्र सजत कुमार सिंह कक्षा नवमी और बेटी दीक्षा सिंह कक्षा चौथी में एलसीआईटी पब्लिक स्कूल में पढ़ती है। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के शुरू में ही 11 अप्रैल 2022 को संजय सिंह ने अपने बेटे रजत कुमार सिंह का साल भर का स्कूल फीस ₹48,070 तथा बेटी दीक्षा की साल भर की फीस ₹39,349 पटा दी थी। अन्य निजी स्कूल की तरह एलसीआईटी स्कूल ने भी बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, किताब आदि स्कूल प्रबंधन से ही खरीदने का दबाव बनाया। मजबूरी में संजय सिंह ने यह भी किया। दोनों बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिए बतौर परिवहन शुल्क ₹18,070 भी उन्होंने एडवांस में जमा करा दिया ।हैरानी तो उन्हें उस वक्त हुई जब मार्च 2023 में परीक्षा से पहले दोनों बच्चों का प्रवेश पत्र जारी किया गया तो उसके साथ यह टीप लिखा गया कि उनकी फीस बकाया है। इतना ही नहीं क्लास टीचर ने मासूम दीक्षा को पूरे क्लास के सामने डांटते हुए अपमानित किया कि जब उनकी पिता की हैसियत स्कूल की फीस पटाने की नहीं है तो वह स्कूल आती ही क्यों है । आप सोच सकते हैं कि किसी मासूम बच्चे पर इस तरह की बातों का कितना गहरा असर पड़ सकता है । जब संजय सिंह को इसकी जानकारी हुई तो वे भी हैरान रह गए। उन्होंने खुद स्कूल जाकर सभी पुराने रसीद दिखाएं और बताया कि उन्होंने तो पहले ही सारा फीस पटा दिया है । यह देख प्रबंधन ने अपनी गलती मानी और कहा कि अब ऐसी भूल नहीं होगी। लेकिन जिनकी फितरत में ही मक्कारी हो वे कब बाज आने वाले थे।
