रेलवे से सटे टिकरापारा क्षेत्र की समस्या इस बरसात भी कम नहीं होने वाली है। दरअसल रेलवे ने अपने हिस्से में नाला निर्माण नहीं कराया है। इससे कॉलोनी और तारबाहर क्षेत्र से आने वाला गंदा पानी टिकरापारा के पिछले हिस्से में बने 150 से ज्यादा घरों में घुसेगा। बारिश में यहां रहने वाले 150 से ज्यादा परिवारों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। यादव मोहल्ला के निवासी, जनप्रतिनिधि ने भी निगम और रेलवे को समस्या से अवगत करा चुके है। रहवासियों ने प्रशासन पर ध्यान न देने का आरोप लगाया हैं, वहीं अब क्षेत्रवासी चक्का जाम करने का मन बना रहे हैं।


महेश स्वीट्स के पीछे से निकलने वाले नाला से रेलवे कॉलोनी का गंदा पानी आता है। इस नाले पर एक छोटा पुल बना हुआ है। इसकी चौड़ाई कम होने के कारण बारिश में पानी इससे टकरा कर मोहल्ले में घुसता है। लोगों ने जब रेलवे के मुख्य अभियंता से शिकायत की तो, उन्होंने 27 मई 2021 में टिकरापारा के नजदीक नाली क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी मोहल्ले में घुसने की बात कही। अगस्त 2022 को नाला निर्माण के लिए 22.62 लाख का प्रस्ताव बजट में शामिल करने प्रस्ताव भेजने बात कही, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी काम नहीं हुआ। अब घरों में पानी घुस रहा हैं, इसके लिए यादव मोहल्ला और टिकरापारा के लोग अपने घर के दरवाजे पर ही दो से तीन फीट की दीवार उठा दिए हैं ताकि नाला का गंदा पानी घरों में ना घुसे और इसे लेकर क्षेत्रवासी में खासा आक्रोश हैं।


यादव वार्ड के पार्षद ने बताया कि हर साल रेलवे को पत्राचार किया जाता है, वे लिख-लिख कर थक चुके हैं। कॉलोनी वासी समेत वार्ड पार्षद और अफसर भी इस समस्या को लेकर बीते सालों में कई बार रेलवे के अफसरों से बात कर चुके हैं। अब की बार घरों में पानी भरा तो समस्त मोहल्ले वासी तारबाहर चौक पर चक्का जाम करेंगे। क्षेत्र के पार्षद ने रेलवे अधिकारी नगर निगम और रेलवे क्षेत्र के पार्षद पर आरोप लगाया है कि उनकी अनदेखी के चलते इस ओर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। पार्षद लक्ष्मी रजक ने बताया कि इन नालियों की जितनी सफाई वे करा लें, रेलवे के हिस्से का पानी नाली में आकर जमा हो जाता है।

रेलवे और टिकरापारा के बीच के इस हिस्से में नालियां बजबजा रही है। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से नाली का गंदा पानी ओवर फ्लो होकर गली में बह रहा है। यह पानी सड़कों पर बहने से मोहल्ले में संक्रामक डायरिया, हैजा, मलेरिया समेत अन्य बीमारियों का खतरा है। ह्यूम पाइप से बनाया गया कुआं कचरे से पटा रेलवे की नाली आखिर में जाकर बंद है। इससे नाली का पानी वार्ड की नालियों में भी जाकर भर गया है। इधर निगम के वार्ड के नालियां भी लबालब भरी हुई है।